देवराज चौहान आखिरकार इसी नतीजे पर पहुँचा था कि ४३८ करोड़ पर हाथ मारने वाला और कोई नहीं, रवि गावड़े का ही भाई, अतुल गावड़े है।परन्तु अतुल गावड़े ये बात मानाने को तैयार नहीं था। वो अंत तक इनकार करता रहा और देवराज चौहान के पास कोई ठोस सबूत भी नहीं था कि अपनी बात को सच साबित कर सके, परन्तु तभी देवराज चौहान के मोबाइल पर आई एक 'मिस्ड कॉल' ने सारे मामले को पलक झपकते ही सुलझा दिया। वो 'मिस्ड कॉल' देवराज चौहान के लिए रामबाण बनकर आई थी।
देवराज चौहान आखिरकार इसी नतीजे पर पहुँचा था कि ४३८ करोड़ पर हाथ मारने वाला और कोई नहीं, रवि गावड़े का ही भाई, अतुल गावड़े है।परन्तु अतुल गावड़े ये बात मानाने को तैयार नहीं था। वो अंत तक इनकार करता रहा और देवराज चौहान के पास कोई ठोस सबूत भी नहीं था कि अपनी बात को सच साबित कर सके, परन्तु तभी देवराज चौहान के मोबाइल पर आई एक 'मिस्ड कॉल' ने सारे मामले को पलक झपकते ही सुलझा दिया। वो 'मिस्ड कॉल' देवराज चौहान के लिए रामबाण बनकर आई थी।