‘उस चिड़िया का नाम’ उपन्यास मानीवय समस्याओं और मनो-मानसिक विकृतियों को उजागर कर उनका निदान प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। कुमाऊँ के एक छोटे-से गाँव और परिवार से शुरू होकर इस उपन्यास की मूल कथा चमत्कारिक ढंग से पूरे समाज और उसकी मानसिकता को समझने का प्रयास करती प्रतीत होती है। इस उपन्यास में एक व्यक्ति की अस्वाभाविक जीवनेच्छा कुछ इस तरह उभरकर आती है कि पाठक उद्वेलित हो उठता है। इसी सूत्र के सहारे ‘उस चिड़िया का नाम’ में पारिवारिक सम्बन्धों के ताने-बाने को समझने का प्रयास शुरू होता है। घटनाओं और पात्रों की गतिविधियों के बहाने ऐतिहासिक तथ्यों की पड़ताल, लोककथाओं और किंवदन्तियों के माध्यम से आधुनिकता और परम्परा के टकराव का रेखांकन इस उपन्यास को न केवल दिलचस्प बनाता है बल्कि लेखक की बौद्धिक कुशलता का प्रमाण भी प्रस्तुत करता है। एक अवकाश-प्राप्त पिता की बीमारी और फिर उनकी मृत्यु के बाद उनके अन्तिम संस्कार के लिए शहर से गाँव पहुँचे भाई-बहन की कथा के माध्यम से ‘उस चिड़िया का नाम’ सामाजिक-पारिवारिक सम्बन्धों की सच्चाई उजागर करनेवाला उपन्यास बनकर उपस्थित होता है। उपन्यास में जीवन-मृत्यु और स्वर्ग-नरक सम्बन्धी सवालों पर दिलचस्प ढंग से विचार हुआ है।
‘उस चिड़िया का नाम’ उपन्यास मानीवय समस्याओं और मनो-मानसिक विकृतियों को उजागर कर उनका निदान प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। कुमाऊँ के एक छोटे-से गाँव और परिवार से शुरू होकर इस उपन्यास की मूल कथा चमत्कारिक ढंग से पूरे समाज और उसकी मानसिकता को समझने का प्रयास करती प्रतीत होती है। इस उपन्यास में एक व्यक्ति की अस्वाभाविक जीवनेच्छा कुछ इस तरह उभरकर आती है कि पाठक उद्वेलित हो उठता है। इसी सूत्र के सहारे ‘उस चिड़िया का नाम’ में पारिवारिक सम्बन्धों के ताने-बाने को समझने का प्रयास शुरू होता है। घटनाओं और पात्रों की गतिविधियों के बहाने ऐतिहासिक तथ्यों की पड़ताल, लोककथाओं और किंवदन्तियों के माध्यम से आधुनिकता और परम्परा के टकराव का रेखांकन इस उपन्यास को न केवल दिलचस्प बनाता है बल्कि लेखक की बौद्धिक कुशलता का प्रमाण भी प्रस्तुत करता है। एक अवकाश-प्राप्त पिता की बीमारी और फिर उनकी मृत्यु के बाद उनके अन्तिम संस्कार के लिए शहर से गाँव पहुँचे भाई-बहन की कथा के माध्यम से ‘उस चिड़िया का नाम’ सामाजिक-पारिवारिक सम्बन्धों की सच्चाई उजागर करनेवाला उपन्यास बनकर उपस्थित होता है। उपन्यास में जीवन-मृत्यु और स्वर्ग-नरक सम्बन्धी सवालों पर दिलचस्प ढंग से विचार हुआ है।