मैं कभी भी सोच कर कवितायें लिखने के लिए नहीं बैठा, हमेशा जो मस्तिष्क में जो चलता था कागज पर उतारता गया और रचनायें बनती गयी । यही कविताओं को लिखने के लिए मेरा प्रोत्साहन रहा । जब स्नातक पढ़ाई कर रहा था तो थोडा खाली समय मिला और विचार कागज़ पर आते रहे, मेरा संकलन विकसित होता रहा । काफी समय तक चुपचाप लिखने के बाद, मैंने कुछ कवितायेँ ब्लॉग पर लिखनी शुरू की, लेकिन स्पष्ट रूप से मैंने अपनी कविताओं को कभी भी प्रकाशित करने की कोशिश नहीं की। ब्लॉग से मुझे लगा कि कुछ ऐसे लोग हैं जो मेरी कविता पहचानते हैं, पसंद करते है। उन्ही सब का प्यार और विश्वास है की आज यह संकलन आप सभी के हाथों में है|
मैं कभी भी सोच कर कवितायें लिखने के लिए नहीं बैठा, हमेशा जो मस्तिष्क में जो चलता था कागज पर उतारता गया और रचनायें बनती गयी । यही कविताओं को लिखने के लिए मेरा प्रोत्साहन रहा । जब स्नातक पढ़ाई कर रहा था तो थोडा खाली समय मिला और विचार कागज़ पर आते रहे, मेरा संकलन विकसित होता रहा । काफी समय तक चुपचाप लिखने के बाद, मैंने कुछ कवितायेँ ब्लॉग पर लिखनी शुरू की, लेकिन स्पष्ट रूप से मैंने अपनी कविताओं को कभी भी प्रकाशित करने की कोशिश नहीं की। ब्लॉग से मुझे लगा कि कुछ ऐसे लोग हैं जो मेरी कविता पहचानते हैं, पसंद करते है। उन्ही सब का प्यार और विश्वास है की आज यह संकलन आप सभी के हाथों में है|