इस देश में कथा-कहानियों की परंपरा विश्व में सबसे प्राचीन है। घर के बड़े-बुजुर्ग कथा-कहानियों के माध्यम से बच्चों की माँग पूरी करते हैं, साथ-ही-साथ उन्हें मनोरंजक बनाकर सुनाते भी हैं।
इस कहानी-संग्रह में मुख्यतः बुजुर्ग वर्ग की पीड़ा बयाँ करती कहानियाँ हैं। 21वीं सदी की पीढ़ी बड़ी बेसब्री की हद तक महत्त्वाकांक्षी हो रही है। सबकुछ लेटेस्ट चाहिए उन्हें! बड़ी-से-बड़ी गाड़ी, लेटेस्ट फोन, टेबलेट, घडि़याँ आदि। इस दौड़ में वे माँ-बाप को भूल जाती हैं, जिन्होंने उन्हें इस लायक बनाया है। ‘चिट्ठी आई है’, ‘डी.एन.ए.’, ‘धोबी का कुत्ता’ कहानियाँ नहीं हैं, हकीकत हैं, आज का सच हैं। ‘फरिश्ता’, ‘दादी ः एक युग’, ‘उलटी पट्टी’ हलकी-फुलकी चुटकियाँ हैं। ‘उजली धूप’ जीवन-संध्या की समस्या को लेकर है, वहीं टॉप करने क
इस देश में कथा-कहानियों की परंपरा विश्व में सबसे प्राचीन है। घर के बड़े-बुजुर्ग कथा-कहानियों के माध्यम से बच्चों की माँग पूरी करते हैं, साथ-ही-साथ उन्हें मनोरंजक बनाकर सुनाते भी हैं।
इस कहानी-संग्रह में मुख्यतः बुजुर्ग वर्ग की पीड़ा बयाँ करती कहानियाँ हैं। 21वीं सदी की पीढ़ी बड़ी बेसब्री की हद तक महत्त्वाकांक्षी हो रही है। सबकुछ लेटेस्ट चाहिए उन्हें! बड़ी-से-बड़ी गाड़ी, लेटेस्ट फोन, टेबलेट, घडि़याँ आदि। इस दौड़ में वे माँ-बाप को भूल जाती हैं, जिन्होंने उन्हें इस लायक बनाया है। ‘चिट्ठी आई है’, ‘डी.एन.ए.’, ‘धोबी का कुत्ता’ कहानियाँ नहीं हैं, हकीकत हैं, आज का सच हैं। ‘फरिश्ता’, ‘दादी ः एक युग’, ‘उलटी पट्टी’ हलकी-फुलकी चुटकियाँ हैं। ‘उजली धूप’ जीवन-संध्या की समस्या को लेकर है, वहीं टॉप करने क