"बहरहाल, इसमें कोई संदेह नहीं कि अपनी पहली ही फ़िल्म की ऐसी सफलता और लोकप्रियता ने मुझे केवल प्रसन्न ही नहीं किया, बल्कि बेहद गद्गद और उल्लसित भी किया. जब ‘यही सच है’ कहानी लिखी थी तो मैंने कभी इस बात की कल्पना तक नहीं की थी. कहानी पर भी प्रशंसा तो मिली थी पर वह प्रशंसा और लोकप्रियता केवल साहित्यिक जगत तक ही सीमित थी. अब आम जनता के बीच इसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय तो केवल और केवल फ़िल्म रजनीगंधा को ही जाता है."
-मन्नू भंडारी
"बहरहाल, इसमें कोई संदेह नहीं कि अपनी पहली ही फ़िल्म की ऐसी सफलता और लोकप्रियता ने मुझे केवल प्रसन्न ही नहीं किया, बल्कि बेहद गद्गद और उल्लसित भी किया. जब ‘यही सच है’ कहानी लिखी थी तो मैंने कभी इस बात की कल्पना तक नहीं की थी. कहानी पर भी प्रशंसा तो मिली थी पर वह प्रशंसा और लोकप्रियता केवल साहित्यिक जगत तक ही सीमित थी. अब आम जनता के बीच इसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय तो केवल और केवल फ़िल्म रजनीगंधा को ही जाता है."
-मन्नू भंडारी