साम्यवाद ही मानव जाति की सारी बीमारियों की एक मात्र रामबाण औषधि है, भारत का उद्धार भी उसी से है. ऐसी अवस्था में साम्यवाद के महान तत्त्वदर्शियों और पथ-प्रदर्शकों की अच्छी जीवनियों का हिंदी में न होना खटकता था. इसी अभाव की पूर्ति के लिए मैंने मार्क्स, लेनिन, स्टालिन और मो-त्से-तुंग की चार जीवनियाँ लिखने का संकल्प लिया. इन जीवनियों में जीवन घटनाओं के अतिरिक्त इन महापुरुषों के सिद्धांतों और प्रयोगों को भी रखने की कोशिश की गयी है.
साम्यवाद ही मानव जाति की सारी बीमारियों की एक मात्र रामबाण औषधि है, भारत का उद्धार भी उसी से है. ऐसी अवस्था में साम्यवाद के महान तत्त्वदर्शियों और पथ-प्रदर्शकों की अच्छी जीवनियों का हिंदी में न होना खटकता था. इसी अभाव की पूर्ति के लिए मैंने मार्क्स, लेनिन, स्टालिन और मो-त्से-तुंग की चार जीवनियाँ लिखने का संकल्प लिया. इन जीवनियों में जीवन घटनाओं के अतिरिक्त इन महापुरुषों के सिद्धांतों और प्रयोगों को भी रखने की कोशिश की गयी है.