आई.जी. साहब के बंगले से अमित कक्कड़ जब बाहर निकला तो रात के साढ़े नौ बज चुके थे। वह जल्दी घर पहुंचकर हरीश तलसानियां की काल के इंतजार में फोन के पास बैठ जाना चाहता था। घर पहुंचते ही कक्कड़ टेलीफोन से यूं चिपका बैठा था, मानो किसी नई नवेली दुल्हन से अलग होने का जी ही न कर रहा हो...थ्रिल-एक्शन का एक ऐसा गंठजोड़ जो रोंगटे खड़े कर देगा!
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