भक्तमाल भक्ति साहित्य का अनमोल रत्न है। इसमें भक्तों का गुणगान, यशोगान तथा उनकी रसमयी लीलाओ का विस्तार है। भगवान और भक्त का सम्बन्ध कैसा होना चाहिए? इसका निर्देशन इस ग्रन्थ में दीखता है। इसके श्रवण, पठन, मनन से भक्तों मे भगवद विश्वास और प्रेम की लहरें दौड़ जाती है। भक्तो के लिए 848 पेज में प्रस्तुत है श्रीभक्तमाल श्री प्रियादासजी कृत भक्तिरसबोधिनी टिका व्याख्या सहित ।
Format
Kindle Edition
Sri Bhaktmaal Priyadasjikrit Bhaktirasbodhini Tika Vyaakhyasahit Code 2066 Hindi
भक्तमाल भक्ति साहित्य का अनमोल रत्न है। इसमें भक्तों का गुणगान, यशोगान तथा उनकी रसमयी लीलाओ का विस्तार है। भगवान और भक्त का सम्बन्ध कैसा होना चाहिए? इसका निर्देशन इस ग्रन्थ में दीखता है। इसके श्रवण, पठन, मनन से भक्तों मे भगवद विश्वास और प्रेम की लहरें दौड़ जाती है। भक्तो के लिए 848 पेज में प्रस्तुत है श्रीभक्तमाल श्री प्रियादासजी कृत भक्तिरसबोधिनी टिका व्याख्या सहित ।